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राहुल आनंद

अगर आप भी एचआईवी से जुड़ी किसी भी तरह की कोई मदद चाहते हैं, तो ये कहानी आपको जरूर पढ़नी चाहिए। “हर इंसान को एचआईवी टेस्ट करना चाहिए और सबको जागरूक होना जरूरी है। आजकल जो नई पीढ़ी की जनरेशन है अगर वो अपनी दोस्ती से आगे बढ़कर शारीरिक संबंध बनाना चाहते हैं, तो जरूरी हैं कि प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करें और अपना और सामने वाले के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।” युवा पीड़ी को ये संदेश देने वाले 46 साल के राहुल आनंद एचआईवी पॉजिटिव हैं। राहुल शादीशुदा और तीन खुबसूरत बच्चों के पिता हैं। चलिए! सकारात्मक, हष्ट पुष्ट और हंसमुख व्यक्तित्व वाले राहुल की एचआईवी का सामना करने और उसके साथ जीने की कहानी उनकी ही जुबानी सुनते हैं। राहुल की कहानी सुनने के लिए हम उनसे मिलने गए। ब्राउन रंग के सोफे में अपनी पत्नी सुमन के साथ बैठे राहुल अपनी कहानी कुछ इसतरह शुरू करते हैं। मैं एक एनजीओ में काम करता था। काम के दौरान ही एक दिन मेहरौली टीबी अस्पताल में हमारे एक नुकड़ नाटक के दौरान फ्री में एचआईवी टेस्ट हो रहे थे। सब टेस्ट करा रहे थे, तो मेरे साथ के लोगों ने कहा कि तुम भी अपना टेस्ट करा लो। मुझे थोड़ासा शक था क्योंकि मैं थोड़ा उन चीजों में शामिल था। मैंने एचआईवी टेस्ट करा लिया। टेस्ट के बाद मुझे बोला कि आप अपनी एचआईवी टेस्ट की रिपोर्ट तीन दिन के बाद आकर ले जाना। लम्बी सांस लेते हुए राहुल बात को आगे बढ़ाते हैं कि वो दिन मैं ही जानता हूं कैसे काटे मैंने क्योंकि, मन में एक कशमकश तो रहती ही हैं कि एचआईवी रिपोर्ट में क्या आएगा। खैर! तीसरे दिन मैं अस्पताल पहुंचा, वहां मुझे काउंसलर मैडम मिली। मैंने उनसे कहा कि मैडम मेरी रिपोर्ट क्या है? तो उन्होंने कहा कि आप आराम से बैठा जाएं। फिर मैं बैठ गया और उन्होंने मुझे बताया कि राहुल जी आपकी एचआईवी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। एक सेकेंड का विराम लेने के बाद राहुल अपनी बात को फिर से शुरू करते हैं कि मैं रोने लगा था, क्योंकि मुझे तब तक लगता था कि एचआईवी के साथ अब मेरी जिंदगी खत्म है। मैंने मैडम को बोला कि आप एक बार फिर से चेक कर ले क्या पता रिपोर्ट गलत हो। काउंसलर मैडम ने मुझसे कहा कि एचआईवी रिपोर्ट सही है। क्योंकि, हम किसी भी एचआईवी रिपोर्ट की दो-तीन बार जांच करते हैं। फिर क्या था, मैं रोने लगा। मुझे रोना इसलिए भी आ रहा था क्योंकि मेरी बेटी उन ही दिनों में हुई थीवह सिर्फ एक हफ्ते की थी। मुझे लगा अगर मुझे एचआईवी हैं तो हो सकता हैं मेरी वाइफ को भी एचआईवी हो और बच्चा मां का दूध पी रहा था तो बच्चे को भी एचआईवी हो। काउंसलर मैडम ने मुझे चुप कराया और कहा कि आप तो हेल्थ से जुड़े मुद्दों पर काम करते हो। दवा और एक हेल्दी जीवन शैली से आप एक आम जिंदगी जी सकते हैं। अस्पताल से निकलने से पहले राहुल ने सबसे पहले अपने घरवालों के लिए फोन किया। आगे की बात को राहुल की पत्नी समुन बताते हुए कहती हैं कि मेरे पास फोन आया था। ये रो रहे थे। मैंने उनको कहा कि इसमें रोने की क्या बात है। आप घर आ जाइए और हम मिलकर इस पर बात करते हैं। समुन कहती हैं कि तब मेरी शादी को 2 साल हुए थे और सच पूछें तो मुझे इस बीमारी के बारे में कुछ पता नहीं था। राहुल सुमन की बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि मुझे एचआईवी के बारे में पता था। राहुल बताते हैं कि उनकी मां उनसे उस समय कहती हैं कि तुम चिंता मत करो। हम तुम्हारे इलाज के लिए अपना घर भी बेच देंगे। काउंसलर मैडम ने मुझे कहा कि आपकी बच्ची का एचआईवी टेस्ट 18 महीने के बाद होगा। मेरे लिए अपनी बच्ची के एचआईवी का पता लगाने के लिए इंतजार करना मुश्किल था। हालांकि मेरी वाइफ एचआईवी नेगेटिव थी। उस दौरान मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी। वो एक- डेढ़ महीना में घर से बाहर नहीं निकला। मुझे लगने लगा था कि मेरी जिंदगी अब खत्म हो गई है। एचआईवी को लेकर होने वाले भेदभाव पर सवाल पूछने पर राहुल बताते हैं कि मेरे घर और रिश्तेदारों में सबको पता हैं कि मुझे एचआईवी हैं] लेकिन मेरे साथ कोई भेदभाव नहीं होता है। सब मेरे से अच्छे से बात करते हैं, साथ में खाते-बैठते हैं। राहुल आगे अपनी एचआईवी की दवाई शुरू करने के बारे में बताते हैं। वह कहते हैं कि मुझे आज तक किसी भी तरह की कोई परेशानी एचआईवी के कारण नहीं हुई। शुरूआत में लोगों को दवाई शुरू करने पर थोड़ साइट इफेक्ट होते है। लेकिन मेरे साथ कोई परेशानी नहीं हुई, बल्कि पहले मैं पहले से अब ज्यादा सेहतमंद हो गया हूं। मैं आज अच्छे से अपनी दवाई लेता हूं और खाने-पीने एवं साफ-सफाई का ध्यान रखता हूं। आज 2024 हो गया है] और मैं अपनी दवाई हर रोज टाइम से लेता हूं। राहुल बताते हैं कि दवाई को टाइम से लेना बहुत जरूरी है जैसे आपने आज 10 बजे रात में दवा ली है, तो कल फिर आपको 10 बजे दवा लेनी है। आप कहीं भी जाओ बस एक दवा हर रोज लेते रहें। इसमें कुछ भी मुश्किल नहीं है। आज के समय में बहुत से लोग किसी ना किसी बीमारी की दवा लेते ही है। राहुल की छोटी बेटी उनको उनकी दवा समय में खाने के लिए एक अलर्म घड़ी का काम करती हैं। राहुल और सुमन के चेहरे में इस बात को बताते वक्त एक प्यारीसी मुस्कान आ जाती है। वह अपनी छोटी बेटी को छोटी डॉक्टर कहते हैं। आगे अपनी बड़ी बेटी के बारे में बताते समय राहुल भावुक होकर कहते हैं कि आज मेरी बड़ी बेटी कालेज में हैं। वो हमारे घर की पहली लड़की हैं, जो कालेज जा रही है। राहुल कहते हैं कि मैं अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ करना चाहता हूं। उनको एक बेहतरीन भविष्य देना चाहता हूं। राहुल सुमन की तरफ देखते हुए कहते हैं कि इन्होंने मेरा इस बुरे वक्त में बहुत साथ दिया और आज भी हर समय साथ दे रही है। ये चाहती तो उस समय मुझे छोड़कर जा सकती थीं। सुमन मेरे लिए मेरा भगवान है। सुमन राहुल की बात को बीच में हंसते हुए रोकती हुई और वह कहती हैं, भगवान तो नहीं पर इंसान समझने वाला होना चाहिए। सुमन एचआईवी पॉजिटिव के साथ होने वाले भेदभाव पर कहती हैं कि ये गलत है। सुमन बताती हैं कि मेरे पति एचआईवी पॉजिटिव हैं] तो मैं समय -समय में एचआईवी की जांच करवाती रहती हूं। पहले तो जांच की प्रक्रिया थोड़ी मुश्किल थी, लेकिन अब तो मैं घर में ही एचआईवी किट की मदद से जांच कर लेती हूं और कुछ ही घंटों में नतीजा पता चल जाता है। राहुल कहते हैं कि सेफ जिंदगी एक एनजीओ है, जो हमको ये एचआईवी किट देती है। इस किट से हम खुद ही जांच करके देख सकते हैं। ये इस्तेमाल में बहुत आसान है और अगर आप एचआईवी पॉजिटिव होने के नतीजे गोपनीय रखना चाहते हैं, तो आप इसकी मदद से ये भी कर सकते हैं। राहुल अपनी बात को खत्म करते हुए कहते हैं कि हर इंसान को एचआईवी टेस्ट करवाना चाहिए और एचआईवी के प्रति जागरूक होना चाहिए। एचआईवी पॉजिटिव होने पर राहुल कहते हैं कि एचआईवी के साथ जिंदगी खत्म नहीं हो जाती। आज इतनी दवाई हैं, जिसकी मदद से एचआईवी पॉजिटिव एक खुशहाल जिंदगी जी सकता है। पहले दवा थोड़ी मंहगी होती थी, लेकिन आज ये दवा मुफ्त में सबके लिए उपलब्ध हैं। आप एक दवा खाकर आराम से एक आम-सी जिंदगी जी सकते हैं। राहुल हंसते हुए कहते हैं, आप ही बताएं कि इसमें मुश्किल क्या है।

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World Health Organization (WHO)

WHO recommends that every person who may be at risk of HIV should access testing. HIV infection can be diagnosed using simple and affordable rapid diagnostic tests, as well as self-tests.

Centre for Disease Control & prevention (CDC)

HIV weakens a person’s immune system by destroying important cells that fight disease and infection. There is currently no effective cure for HIV. But with proper medical care, HIV can be controlled.

AIDS Vaccine Advocacy Coalition (AVAC)

AVAC works to accelerate the ethical development and global delivery of HIV prevention options as part of a comprehensive and integrated response to the epidemic.

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HIV service delivery to key populations in the time of COVID-19: Experiences from India

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